हिन्दू धर्म में अनेक त्यौहार मनाये जाते है. वसंत पंचमी का त्योहार भी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है. क्योकि वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा और अर्चना की जाती है. वसंत पंचमी को पुरे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. वसंत पंचमी की पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है. इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र पहनकर माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष छः ऋतुओ में विभाजित किया गया है. उसमे वसंत ऋतू का विशेष महत्व है.
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क्यों पहनते है पीले रंग के वस्त्र-
बसंत उत्सव को प्रकृति का उत्सव माना जाता है. जिस प्रकार यौवन हमारे जीवन का बसंत है उसी प्रकार बसंत इस सृष्टि का यौवन है. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है. शास्त्रों एवं पुराणों में वसंत पंचमी और माँ सरस्वती की पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है.
कथा कुछ इस प्रकार है की-
जब प्रजापति ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु की आज्ञा से सृष्टि की रचना की. और जब इस संसार को देखा तो उन्हें यहाँ पर चारों ओर सुनसान और निर्जन ही दिखाई दिया था. सम्पूर्ण वातावरण में उदासी छाई हुई थी. चारो ओर निरसता फैली थी. जैसे किसी की वाणी ही न हो. यह सब देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने का सोचा और अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का. ब्रम्हाजी द्वारा छिडके हर जल कणों के पड़ते ही पेड़ों से एक प्रकार की शक्ति उत्पन्न हुई जो अपने दोनों हाथों से वीणा का वादन कर रही थी तथा दो अन्य हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई थी. उस देवी ने जीवों को वाणी दान की. इसी कारण उस देवी शक्ति को सरस्वती कहा गया. और आज हम उस देवी माँ सरस्वती कहते है. जो ज्ञान की देवी भी कही जाती है.
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पीला रंग के वस्त्र पहनने के पीछे छुपा है राज
माँ सरस्वती विद्या और बुद्धि की दात्री है. इसी कारण बसंत पंचमी के दिन हर घर में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. वसंत ऋतू के आगमन पर प्रकृति चारों तरफ अपने रंग बिखेरने लगती है. शायद ही कोई ऐसा हो जो इस ऋतु आगमन पर खुश नही होता होगा. हर कोई खुशी से वसंत का स्वागत करता है. पीला रंग प्रकृति का माना जाता है. और चटख पीला रंग वसंत का भी होता है. इस दिन पीले रंग को पहनने का महत्व इसिलिये भी अधिक है क्योकि पीला रंग हमरे दिमाग को संक्रिय करता है. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रंगों का हमारे जीवन से गहरा नाता है.. इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं. पीला रंग उमंग बढ़ाने में सहायक होता है. इसीकारण इस दिन पीले वस्त्र को पहनने का अधिक महत्व दिया जाता है.
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आज है गजकेसरी योग-
वर्षभर में आने वाली छह ऋतुओं, बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार इस बार बसंत पंचमी पर छात्रों के लिए शुभ विद्या योग और अन्य सभी के लिए गजकेसरी योग बन रहा है.
क्या है गज केसरी योग-
गजकेसरी” योग के सम्बन्ध में यह मान्यता है कि यह योग व्यक्ति को “गज के समान” स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है. राजयोगों व धनयोगों के बाद गजकेसरी योग के फलों का विचार किया जाता है. गजकेसरी योग पूर्ण रुप से जब किसी व्यक्ति कि कुण्डली में बन रहा होता है तो व्यक्ति को गुरु व चन्द्र की दशा में इसके शुभ फल प्राप्त होते है.
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