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वाकई बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पंजाब जैसे राज्यों में निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव की जरूरत है।

वाकई बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पंजाब जैसे राज्यों में निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव की जरूरत है।
जर्मनी और अमेरिका के बाद संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा है कि भारत सहित जिन भी देशों में चुनाव हो रहे है, वहां लोगों के राजनीतिक एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा जरूरी है। लोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष माहौल में मतदान कर सके। विदेशियों के ऐसे बयान पर भारत को ऐतराज करने की जरुरत नहीं है, क्योंकि वाकई पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पंजाब आदि राज्यों में लोकसभा के चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना जरूरी है। सब जानते हैं कि इन राज्यों में किस सोच के साथ सरकार चलाई जा रही है। तमिलनाडु में स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके की सरकार का मानना है कि भारत से सनातन धर्म को समाप्त कर दिया जाए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस सरकार की ऐसी सोच होगी, वहां सनातन धर्म को मानने वाले लोग कैसे मतदान कर सकेंगे। पश्चिम बंगाल के हालात जग जाहिर है। संदेशखाली में जो कुछ भी हुआ उसमें बता दिया कि बंगाल में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। समुदाय विशेष के लोग जो मन करता है, वह करते हैं। गंभीर बात तो यह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आरजक तत्वों को खुला संरक्षण देती है। केरल में तो हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक वर्ग की श्रेणी में आ गया है। केरल में आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। मुख्यमंत्री विजयन को सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने की चिंता है। यहां राजनीतिक गतिविधियां बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। केंद्र में भले ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार हो, लेकिन केरल में भाजपा का कार्यकर्ता दहशत में रहता है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। यहां भी हिंदू समुदाय के लोगों की स्थिति जगजाहिर है। पंजाब में खालिस्तान समर्थक लगातार मजबूत हो रहे है। आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान का अधिकांश समय पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ गुजरता है। जिस तरह पंजाब में खालिस्तान समर्थक गतिविधियां कर रहे है उससे निष्पक्ष चुनाव होना मुश्किल नजर आता है। जो विदेशी लोग पीएम मोदी को निशाना कर बयान दे रहे हैं उन्हें भारत की आंतरिक स्थिति की हकीकत का पता नहीं है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पंजाब आदि बड़े राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकार है। संघीय ढांचे में राज्य सरकारों के पास ही ताकत होती है। ईवीएम (वोट मशीन) भी राज्य सरकारों की निगरानी में होती है। राज्य पुलिस की देखरेख में रहने वाली ईवीएम के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-03-2024)
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