मृगतृषà¥à¤£à¤¾
इंसान कोई पेंग्विन तो नहीं जो बर्फ की चट्टानों पर घोंसला बनाये और अंडे दे
इंसान ध्रुवीय भालू भी नहीं
जो रेगिस्तानी बर्फ़ीले समंदर में शिकार करे
क्यों फिर वह जाता है
अपने खेत खलिहान दालान छोड़ के
भटकने
बग़दाद से समरकंद
मैड्रिड से मच्छु पिच्छु
बामियाँ से अनुराधापुरा
हाथ में बाइबिल, त्रिपिटक और दास केपिटल लिये हुए?
मंगल ग्रह की घाटियों में ऊष्णता आद्रता ढूँढने?
गगनचुंबी अट्टालिका, भूमिगत रेल और परमाणु बम का निर्माण करने?
और फिर व्यथा उसकी!
शांति, समृद्धि और समानता जब नहीं मिलते उसे
तो क्यों नहीं वो लौट आता है खेतों खलिहानों और दालानों में वापस?
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