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Lok Sabha Election: चर्चा में छाईं शांभवी चौधरी, सबसे कम उम्र की दलित कैंडिडेट, पिता मंत्री तो ससुर पूर्व IPS अफसर

Lok Sabha Election: बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपने कोटे की सभी पांच लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। पार्टी के मुखिया चिराग पासवान ने जिन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है,उनमें समस्तीपुर सुरक्षित सीट से चुनाव मैदान में उतारी गई शांभवी चौधरी की खूब चर्चा हो रही है।

बिहार में जदयू कोटे के मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोर टीम के सदस्य माने जाने वाले अशोक चौधरी की बेटी शांभवी की उम्र महज 25 साल 9 महीने की है। वे इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाली सबसे कम उम्र की दलित उम्मीदवार होंगी।

वे बिहार के चर्चित पूर्व आईपीएस अफसर आचार्य किशोर कुणाल की बहू हैं। खुद को लोकसभा का टिकट मिलने के बाद शांभवी चौधरी काफी खुश नजर आईं और उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिए जाने के सम्मान से मैं अभिभूत हूं।

हाजीपुर सीट से खुद चुनाव लड़ेंगे चिराग

बिहार में एनडीए में हुए सीटों के बंटवारे में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा को पांच सीटें मिली हैं। चिराग पासवान ने शनिवार को इन सभी सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए। अपने पिता रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हाजीपुर से चिराग पासवान खुद चुनाव लड़ेंगे।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस ने जीत हासिल की थी और इस सीट को लेकर उनकी अपने चाचा के साथ तीखी बयानबाजी हुई थी। पारस की पार्टी को इस बार एनडीए में एक भी सीट नहीं मिली है।

समस्तीपुर से शांभवी चौधरी को टिकट

चिराग ने जमुई लोकसभा क्षेत्र से अपने बहनोई अरुण भारती को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में चिराग ने खुद इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। अपने खिलाफ बगावत करने वाली सांसद वीणा देवी को वैशाली से टिकट देकर चिराग ने सबको चौंका दिया है।

खगड़िया और समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट से नए चेहरों को मौका दिया गया है। खगड़िया से राजेश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा गया है जबकि समस्तीपुर सीट से शांभवी चौधरी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है। इन उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा चर्चा शांभवी चौधरी की हो रही है।

बिहार के मंत्री की बेटी हैं शांभवी

बिहार में जदयू कोटे के मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले अशोक चौधरी की बेटी शांभवी खुद को टिकट मिलने के बाद काफी खुश नजर आईं। 25 साल की शांभवी चौधरी इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे कम उम्र की दलित महिला उम्मीदवार होंगी। बिहार में उनके परिवार का सियासत से पुराना नाता रहा है। उनके दादा महावीर चौधरी बिहार में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री थे।

शांभवी के पिता अशोक चौधरी भी पहले कांग्रेस में ही थे मगर बाद में उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का दामन थाम लिया था। अब उन्हें नीतीश कुमार का काफी करीबी और कोर टीम का सदस्य माना जाता है। शांभवी की दावेदारी को पहले ही काफी मजबूत माना जा रहा था।

शांभवी के दादा भी थे बिहार के बड़े नेता

खुद को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद शांभवी चौधरी काफी खुश नजर आईं। उन्होंने कहा कि महज 25 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव लड़ने का मौका मिलने के सम्मान से मैं अभिभूत हूं। अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण मुझे बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारी का एहसास हुआ है। मेरे दादा और पिता ने राजनीति में एक बड़ा बेंचमार्क स्थापित किया है।

शांभवी चौधरी के ससुर आचार्य किशोर कुणाल बिहार के चर्चित आईपीएस अफसर रहे हैं। अपने ससुर आचार्य किशोर कुणाल का जिक्र करते हुए शांभवी ने कहा कि मैं उनके महान योगदान से पूरी तरह परिचित हूं। उन्होंने बरसों पहले बिहार के मंदिरों में दलित पुजारी कौ शामिल करके सामाजिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया था।

पिता से मिलकर भावुक हुईं शांभवी

चिराग पासवान की पार्टी का टिकट मिलने के बाद शांभवी तुरंत अपने पिता अशोक चौधरी से मिलने पहुंचीं। अपने पिता को गले लगाने के साथ वे काफी भावुक हो गईं और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस मुलाकात के दौरान अशोक चौधरी ने अपनी बेटी से कहा कि यह तो तुम्हारा ड्रीम था जो अब सच साबित हो रहा है।

अशोक चौधरी अपनी बेटी को इस बार के लोकसभा चुनाव में टिकट दिलाने की कोशिश में जुटे हुए थे। वे शांभवी को जमुई लोकसभा सीट से टिकट दिलाना चाहते थे मगर जमुई से चिराग ने अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है। शांभवी को उन्होंने समस्तीपुर सीट से टिकट दिया है।

दिल्ली में हुई शांभवी की पढ़ाई

शांभवी चौधरी ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है। उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में पीएचडी भी कर रखी है। मौजूदा समय में वे पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल के डायरेक्टर पद पर तैनात हैं। इसके साथ ही में समाज सेवा से जुड़े कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं।

काफी चर्चित रहे हैं शांभवी के ससुर

पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल के साथ उनकी शादी हुई है। बिहार के कई मंदिरों में दलित पुजारियों को नियुक्त करने का श्रेय किशोर कुणाल को दिया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी थी। आईपीएस की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद किशोर कुणाल ने दरभंगा के केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति पद की जिम्मेदारी संभाली थी।



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